मैं क्या लिखता कोरे पन्ने पे, वो तो मुझे अपना मानती थी। मैं क्या लिखता कोरे पन्ने पे, वो तो मुझे अपना मानती थी।
मैं ये लिखता मैं वो लिखता है दिल पागल सनम लिखता मैं कहता ज़िंदगी तुझको इबादत में सनम दिखता मैं ये लिखता मैं वो लिखता है दिल पागल सनम लिखता मैं कहता ज़िंदगी तुझको इबादत में...
कभी सुबह लिखता हूं कभी शाम को लिखता हूं, पर मैं लिखता जाता हूं, कभी सुबह लिखता हूं कभी शाम को लिखता हूं, पर मैं लिखता जाता हूं,
इक रोज़, भूल जाने के लिए इक रोज़, भूल जाने के लिए
कुछ तो कहना है तुमसे क्या कहूँ क्या छिपाऊं याद करूँ मैं तुमको या फिर से भूल जाऊँ। कुछ तो कहना है तुमसे क्या कहूँ क्या छिपाऊं याद करूँ मैं तुमको या फिर से...